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इजरायल में फलस्तीनियों की जगह होगी भारतीयों की भर्ती, यूपी के सुरेश और राजू ने क्या बताया?

इजरायल में फलस्तीनियों की जगह होगी भारतीयों की भर्ती, यूपी के सुरेश और राजू ने क्या बताया?

हमास के साथ युद्ध के बाद भारतीय मजदूरों ने इजरायल में फलस्तीनियों की जगह लेने लगे हैं। निर्माण क्षेत्र में लगभग 16 हजार मजदूर जुटे हैं। इजरायल भारत से और मजदूरों को लाने का अभियान चलाएगा। वहां कामगारों की संख्या काफी कम है। युद्ध से पहले इजरायल के निर्माण क्षेत्र में फलस्तीनियों का दबदबा था। मगर बाद में इजरायल ने उन पर बैन लगा दिया।

इजरायल में भारतीय कामगार लेने लगे फलस्तीनियों की जगह। ( फाइल फोटो )

इजरायल में भारतीय कामगारों का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। वह अब धीरे-धीरे फलस्तीनियों की जगह लेने लगे हैं। इजरायल में मौजूदा समय में 16000 भारतीय मजदूर कार्यरत हैं। निर्माण कार्य से जुड़े यह मजदूर फलस्तीनियों के कारण खाली हुई जगह को भरने जुटे हैं। इजरायल का कहना है कि वह भारत से और मजदूर लाने का अभियान चलाएगा।


फलस्तीनियों पर रोक के बाद पहुंचे भारतीय
7 अक्टूबर 2023 को हमास के आतंकियों ने इजरायल पर इतिहास का सबसे बड़ा हमला किया था। हमले में लगभग 1200 इजरायली नागरिकों की हत्या की गई थी। वहीं 251 लोगों को बंधक बनाया गया था। इसके बाद इजरायल ने अपने यहां फलस्तीनियों के प्रवेश पर रोक लगा दी थी। इजरायल ने फलस्तीनियों की जगह भारत से कामगारों को बुलाने का फैसला किया था।


भारतीयों को जंग भी नहीं रोक सकीहमास के बाद इजरायल ने लेबनान सीमा पर हिजबुल्लाह से जंग लड़ी। सीधे टकराव में दोनों तरफ भारी नुकसान हुआ। जंग के बीच बड़ी तादाद में भारतीय मजदूर बिना डरे इजरायल पहुंचे और संकट काल में इजरायल के निर्माण में भागेदारी निभाई। भारत से इजरायल पहुंचने वाले ऐसे ही एक मजदूर हैं राजू निषाद। वह मध्य इजराइल के बीर याकोव शहर में काम करते हैं। राजू उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं।





यहां डरने की कोई बात नहींराजू का कहना है कि यहां डरने की कोई बात नहीं है। जब सायरन बंद हो जाता है तो हम अपना काम दोबारा शुरू करते हैं। भारत की तुलना में इजरायल में कामगारों को तीन गुना अधिक आय होती है। यही वजह है कि अपने घर से हजारों किलोमीटर दूर युद्ध क्षेत्र में भी भारतीय मजदूर मजबूती से डटे हैं। राजू निषाद का कहना है कि मैं भविष्य के लिए बचत कर रहा हूं।

इजरायल में दशकों से भारतीय

इजरायल में भारतीय दशकों से कई सेक्टरों में कार्यरत हैं। बुजुर्ग इजरायली नागरिकों की देखभाल, हीरा व्यापार और आईटी क्षेत्र में भारतीय काम करते हैं। गाजा में युद्ध के बाद से भी इजरायल के निर्माण क्षेत्र में भारतीय कामगारों को लाने का अभियान शुरू किया गया।




तेल अवीव में यूपी के सुरेश39 वर्षीय सुरेश कुमार वर्मा ने कहा कि थोड़े समय में इजराइल में कोई भी व्यक्ति अधिक पैसा कमा सकता है। सुरेश उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। वह इजरायल की वाणिज्यिक राजधानी तेल अवीव के उत्तर में एक निर्माण स्थल पर काम करते हैं। उन्होंने कहा कि पैसा कमाना भी जरूरी है। परिवार के भविष्य के लिए कड़ी मेहनत करना जरूरी है।

भारतीयों की संख्या कमइजरायल के शोर्धकर्ताओं का मानना है कि अभी भारतीय मजदूरों की संख्या कम है। सेंट्रल बैंक ऑफ इजरायल के ईयाल अर्गोव के मुताबिक हमास के हमले से पहले इजरायल में लगभग 80,000 फलस्तीनी और करीब 26,000 विदेशी निर्माण कार्य में जुटे थे। अब लगभग 30,000 विदेशी काम में जुटे हैं।

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